अजय प्रताप सिंह ने भरा निर्दल प्रत्याशी के रूप में पर्चा

देवरिया । देवरिया सदर विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में नामांकन के अंतिम दिन शुक्रवार को सदर विधायक स्व.जन्मेजय सिंह के बेटे अजय प्रताप सिंह ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया। अजय प्रताप सिंह ने भाजपा से बगावत कर निर्दल ताल ठोक दिया है। उनके नामांकन के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गयी है।
आज अंतिम दिन कुल सात उम्मीदवारों ने अपने पर्चे दाखिल किए। इसके साथ ही इस सीट के लिए नामांकन करने वालो की संख्या 21 हो गयी है।
सदर विधायक स्व.जन्मेजय सिंह के निधन के बाद उनके बेटे अजय प्रताप सिंह इस उपचुनाव में भाजपा से टिकट की उम्मीद किए थे, लेकिन भाजपा ने डाँ.सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को टिकट देकर अजय प्रताप सिंह को बगावत का रास्ता दिखा दिया। टिकट घोषित होने के बाद ही अजय प्रताप सिंह ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
आज शुक्रवार को नामांकन के अंतिम दिन अजय प्रताप सिंह देवगांव स्थित अपने आवास पर इकत्रित हुए अपने समर्थकों के साथ नामांकन के लिए निकले।
भारी भीड़ के साथ अजय प्रताप सिंह जब पुरवां चौराहे के पास पहुंचे तो पुलिसकर्मियों ने काफिले में शामिल गाड़ियों को रोक दिया। पुरवां चौराहे से अजय प्रताप सिंह अपने समर्थकों के साथ कुछ गाड़ियो के साथ सुभाष चौक पहुंचे।वहा से समर्थक भाजपा विरोधी नारे लगाते हुए कचहरी चौराहे पहुंचे। भीड़ को पुलिसकर्मियों ने बाहर ही रोक दिया। अजय प्रताप सिंह अपने प्रस्तावकों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे और रिटर्निग आफिसर सौरभ सिंह के समक्ष अपना नामांकन पत्र दो सेट में दाखिल किया। इसके अलावा भाजपा प्रत्याशी डाँ.सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी ने आज पुनः एक सेट में अपना पर्चा दाखिल किया। इसके अलावा दुर्गा सिंह पटेल जय हिंद पार्टी, सुधाकर निर्दल, राजन यादव, अतिउल्लाह, ओमप्रकाश निषाद अभय समाज पार्टी एवं एनसीपी से अशोक कुमार यादव ने आज नामांकन पत्र दाखिल किया। देवरिया सदर सीट से अब 21 दावेदार मैदान में है।
भाजपा ने दिया मुझे धोखा
स्व.जन्मेजय सिंह के बेटे अजय प्रताप सिंह ने कहा की भाजपा ने मेरे साथ धोखा किया है। इससे भाजपा का पिछड़ी समाज के प्रति उसकी उपेक्षा का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए हमने निर्दल ही चुनाव लड़ने का संकल्प लिया और नामांकन दाखिल किया है। मेरे पिता का भी सपना था की मै विधायक बनू। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा मुझे टिकट के लिए आश्वासन मिलता रहा और अंत मे मुझे दरकिनार कर दिया गया। मै निर्दल ही चुनाव लड़ूगा।