“मेढ़ का काटना-ज़मीन नहीं, मानसिकता की लड़ाई हैं!”
यूपी के देवरिया में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में एक अदृश्य ज़हर की तरह फैली है, मेढ़ काटने की।
थोड़ी-सी ज़मीन के लिए, रिश्तों की लकीरें काट दी जाती हैं। इंच भर ज़मीन के चक्कर में, इंसानियत की हदें लांघ दी जाती हैं। एक ज़िद जो कभी झगड़े में बदलती है, तो कभी खून-खराबे में, एक पक्ष ईसके विरोध में तो दूसरा इसे शान समझता हैं।
हर झगड़े के पीछे अक्सर होता है ऐसा ही कोई शख्स जिसे रिश्ते, या समाज की कोई परवाह नहीं, बस ज़मीन चाहिए… चाहे कीमत किसी की ज़िंदगी ही क्यों न हो।
यही मेढ़ काटना कई बार बन जाता है हत्या, विवाद और मुकदमेबाज़ी का कारण। और फिर शुरू होता हैं थाना पुलिस तहसील, नौबत जेल लेकिन कुछ लोगो कि मानसिकता तब भी नहीं बदलती और पीढ़ी दर पीढ़ी यह जहर एक के बाद एक में फैलती जाती हैं।