देवरिया टाइम्स। नई दिल्ली
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए “वोट चोरी” के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि राहुल गांधी के पास अपने आरोपों का कोई सबूत है तो वे सात दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करें, अन्यथा देश से माफी मांगें, नहीं तो यह आरोप निराधार माने जाएंगे।
ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करता है और सभी राजनीतिक दल आयोग के पास पंजीकृत हैं, ऐसे में भेदभाव की गुंजाइश ही नहीं है। उन्होंने मतदाता सूची बनाने की प्रक्रिया को भी पारदर्शी बताते हुए कहा कि इसमें बूथ स्तर के अधिकारी और सभी दलों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर उठाए सवालों को लेकर उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची की त्रुटियों को सुधारने के लिए शुरू की गई है, जिसकी मांग दो दशकों से हो रही थी। उन्होंने इस प्रक्रिया को राजनीति का मुद्दा बनाने पर चिंता जताई। साथ ही उन्होंने कानूनी प्रावधान का जिक्र करते हुए कहा कि यदि किसी को मतदाता सूची में गड़बड़ी लगती है तो वे समय पर शिकायत कर सकते हैं या 45 दिनों के भीतर हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं।
सीईसी ने राहुल गांधी से ठोस सबूत पेश करने की चुनौती देते हुए कहा कि “वोट चोरी” जैसे शब्द संविधान का अपमान हैं और यह मतदाताओं को गुमराह करने वाले हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि मशीन-रीडेबल मतदाता सूची साझा करना निजता का उल्लंघन होगा। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पलटवार करते हुए कहा कि आयोग ने उनके द्वारा कर्नाटक के महादेवपुरा क्षेत्र में बताए गए एक लाख वोटरों के दावों का जवाब नहीं दिया। विपक्षी दलों ने आयोग के रुख को पक्षपातपूर्ण बताया, जबकि कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर आयोग की सख्ती की सराहना भी की।
विशेषज्ञों का मानना है कि आमतौर पर चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के लिए होती है, लेकिन इस बार आरोपों का जवाब देने के लिए की गई प्रेस वार्ता असामान्य है। आयोग ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार में 65 लाख नाम हटाने के कारणों का विवरण जिला स्तर पर 56 घंटे के भीतर साझा किया गया है। यह विवाद राहुल गांधी और कांग्रेस के दावों बनाम चुनाव आयोग की साख के बीच सीधे टकराव का रूप लेता दिख रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा बिहार विधानसभा चुनाव और विपक्ष की “वोटर अधिकार यात्रा” को और गर्मा सकता है।