धार्मिक स्थल के लिए भी प्रसिद्ध यह मंदिर बाबा गोरखनाथ मंदिर। ये मंदिर केवल राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में प्रसिद्ध है। गोरखनाथ मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। ये कई योगी-महंतों का महत्वपूर्ण केंद्र है।
मकर संक्रांति के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में विशाल मेले का आयोजन होता है। इसे खिचड़ी मेला भी कहा जाता है।
गोरखनाथ मंदिर नाथ मठ समूह का मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर की स्थापना नाथ परंपरा के गुरु मत्स्येंद्रनाथ द्वारा की गई है। हिंदू पौराणिक कथाओं में गोरखनाथ और कांगड़ा स्थित ज्वाला देवी की भी कहानी प्रसिद्ध है। 52 एकड़ में फैले मंदिर के अंदर गोरक्षनाथ की संगमरमर की प्रतिमा के अलावा चरण पादुका, भगवान गणेश, देवी काली, काल भैरव समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा देखने को मिल जाती है।
खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग में गोरखनाथ हिमाचल के कांगड़ा स्थित ज्वाला देवी मंदिर गए थे। जहां देवी ने उन्हें दर्शन देते हुए भोज पर आमंत्रित किया। इस पर गोरखनाथ ने कहा कि वे भिक्षा में मिले दाल-चावल थे। इस पर देवी ने कहा कि वे दाल-चावल लेकर आए। इस पर गोरखनाथ राप्ती और रोहिणी नदी के पास पहुंचकर साधना में लीन हो गए। ये देख लोग उन्हें भिक्षा के तौर पर दाल-चावल देने लगे। लेकिन उनका पात्र भरता ही नहीं था। तब से गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई। यूपी के अलावा यहां बिहार, झारखंड समेत नेपाल से लोग खिचड़ी चढ़ाने आते हैं