देवरिया टाइम्स:

गर्मी के मौसम में देशभर में बिजली की मांग तेजी से बढ़ जाती है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पंखे, कूलर और एयर कंडीशनर जैसी आवश्यकताएं सामान्य हो चुकी हैं, लेकिन इनके कारण विद्युत तंत्र पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, निर्माण और मरम्मत कार्यों में ग्राइंडर, कटर, हेल्टी मशीन आदि का प्रचलन भी बढ़ा है, जिससे दिन के समय बिजली की खपत अपने चरम पर पहुंच जाती है।

अब हर गली-मोहल्ले में निर्माण कार्यों के लिए पारंपरिक औजारों के स्थान पर बिजलीचालित उपकरणों का उपयोग हो रहा है। एक हेल्टी मशीन औसतन 800 से 1200 वाट और एक एसी 1000 से 2000 वाट बिजली खपत करता है। यदि किसी इलाके में सैकड़ों घरों में एक साथ निर्माण कार्य चल रहे हों, तो स्थानीय ट्रांसफार्मर पर एक से दो मेगावाट तक का अतिरिक्त भार आ सकता है। यह लोड विशेष रूप से सुबह 9 से शाम 5 बजे के बीच सबसे अधिक होता है, जब घरेलू और व्यावसायिक दोनों खपत एक साथ चल रही होती है। इसका परिणाम होता है ट्रिपिंग, कम वोल्टेज और कई बार अघोषित बिजली कटौती।

आज उपभोक्ता अपने घर की विद्युत आवश्यकताओं के अनुरूप कनेक्शन लेने के प्रति सजग नहीं हैं। पहले के मुकाबले अब घरों में कई अतिरिक्त बिजली-खपत करने वाले उपकरण जैसे वॉशिंग मशीन, मोटर, दो-दो फ्रिज, इन्वर्टर और एसी लगाए जा रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग पुराने 2 से 3 किलोवाट के कनेक्शन पर ही निर्भर रहते हैं। इससे स्थानीय ट्रांसफार्मर पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और पूरे मोहल्ले को लो वोल्टेज और फाल्ट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

बिजली संकट का एक बड़ा कारण जर्जर तार, झूलते पोल और वर्षों से बिना देखरेख के चल रहे ट्रांसफार्मर भी हैं। यह संरचनाएं न केवल खराब आपूर्ति व्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं, बल्कि बारिश या कोहरे में जानलेवा दुर्घटनाओं की आशंका को भी बढ़ाती हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जब गर्मियों में खपत सबसे अधिक होती है, उसी समय कई स्थानों पर मरम्मत और उपकरणों के बदले जाने का काम शुरू कर दिया जाता है। जबकि यह कार्य सर्दियों के दौरान, जब लोड अपेक्षाकृत कम होता है, किया जाना चाहिए।

बिजली चोरी एक छिपा हुआ लेकिन गंभीर संकट है। कटिया कनेक्शन और अवैध उपयोग न केवल विभाग को राजस्व हानि पहुंचाते हैं, बल्कि वैध उपभोक्ताओं के लिए भी लो वोल्टेज और ट्रिपिंग जैसी परेशानियां पैदा करते हैं। इस दिशा में स्मार्ट मीटर, ड्रोन से निगरानी और सघन छापेमारी जैसे उपाय कारगर हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए ठोस प्रशासनिक इच्छाशक्ति और स्थानीय जनसहयोग आवश्यक है।

इस बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए अब बिजली को केवल एक उपभोग की वस्तु मानने के बजाय एक बुनियादी राष्ट्रीय संसाधन के रूप में देखने की आवश्यकता है। इसके लिए सबसे पहले विद्युत आपूर्ति तंत्र का आधारभूत उन्नयन किया जाना चाहिए। पुराने तारों को एरियल बंच केबल (ABC) से बदला जाए, ट्रांसफार्मरों की क्षमता में वृद्धि की जाए और सर्दियों के समय रखरखाव की वार्षिक योजना को लागू किया जाए।

इसके साथ-साथ उपभोक्ताओं को अपने घर की बिजली लोड की सही जानकारी होनी चाहिए। इसके लिए विभाग द्वारा शिविरों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से यह बताया जाना चाहिए कि एक औसत परिवार के लिए 3 से 4 किलोवाट का कनेक्शन पर्याप्त होता है। साथ ही ऊर्जा दक्षता वाले उपकरणों जैसे 5-स्टार एसी और एलईडी लाइट्स के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

बिजली चोरी को रोकने के लिए स्मार्ट मीटर और निगरानी प्रणाली को व्यापक रूप से लागू किया जाए। स्थानीय स्तर पर सक्रिय विजिलेंस यूनिट गठित कर नियमित जांच की जाए। इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे रूफटॉप सोलर पैनल और छोटे पैमाने पर पवन ऊर्जा को प्रोत्साहन देकर ग्रिड पर लोड कम किया जा सकता है। सबसे जरूरी पहलू लोड प्रबंधन है। पीक समय में भारी मशीनों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए समय-आधारित दिशा-निर्देश लागू किए जाएं, जिससे ट्रांसफार्मर और फीडर पर एक साथ अत्यधिक दबाव न पड़े।

जब तक विभाग सक्रिय रणनीति नहीं अपनाएगा और उपभोक्ता अपनी भूमिका नहीं समझेंगे, तब तक हर गर्मी में बिजली संकट का सवाल उठता रहेगा। यह समय है जब हम सभी को सामूहिक रूप से यह समझना होगा कि बिजली केवल सुविधा नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण की बुनियाद है, और इसके सुचारु संचालन के लिए हम सभी की भागीदारी आवश्यक है।


दीपांशु श्रीवास्तव

By Santosh Vishwakarma

Santosh Vishwakarma Owner & Editor-in-Chief, Deoria Times | Journalist | Photojournalist Santosh Vishwakarma is the Owner and Editor-in-Chief of Deoria Times, a Hindi periodical registered under the Press Registrar General of India (Reg. No. UPHIN/2019/77982), Ministry of Information & Broadcasting, Government of India. With over 12 years of experience in news media, he holds a Bachelor's degree in Arts and a specialization in Mass Communication. Based in Deoria, Uttar Pradesh, he is known for fearless ground reporting, compelling photojournalism, and sharp coverage of local governance, corruption, and public issues. His integrity-driven journalism has drawn public attention and official response from national authorities, including the President’s Secretariat. Despite threats and pressures, he remains committed to raising voices that matter and bringing truth to light. 📷 Specialties: Ground reporting, visual journalism, social justice, civic accountability.

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