आभार प्रकट करना, धन्यवाद देना, कृतज्ञ होना एक दैवीय गुण है और मानवता का सर्वोत्कृष्ट विशेषता है। यह हमें आभास कराती है कि प्रत्यक्ष और परोक्ष किसी भी रूप में और कभी भी यदि किसी व्यक्ति, कोई दैवीय ऊर्जा, कोई जीव ने कोई सहयोग और सहायता प्रदान की है, तो उसके लिए यदि कुछ न कर सके, तो हृदय से आभार अवश्य प्रकट करें।
जब कभी भी हम कोई प्रार्थना पत्र लिखते है तो अंत में एक वाक्य अवश्य लिखते है – ” महोदय इस कार्य हेतु मैं आपका आजीवन आभारी रहूंगा”। लेकिन क्या हम 24 घंटे में से कुछ समय परमात्मा / प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए निकाल पाते है ? क्या हमारे पूजा / प्रार्थना का उद्देश्य मनोकामनापूर्ण होने का ही है ?
कृतज्ञता के अभ्यास से जीवन जीने के नए आयाम खुलने लगते है। श्रद्धा भाव से आभार प्रकट करने से विचार स्थिर होने लगते है, मन शांत होता है, तनाव कम होता है और समस्या के समाधान सामने आने लगते है। कई दर्शन और धार्मिक ग्रंथों ने भी माना है कि कृतज्ञता एक दिव्य प्रकाश है और यह जहाँ जहाँ फैलेगा वहां वहां सुख समृद्धि और शांति ही आएगी। जो जितना अधिक कृतज्ञ होगा उसे उतना अधिक मिलेगा और जो कृतज्ञहीन रहेगा उससे वह भी छीन जायेगा जो उसके पास है।
आपके शरीर के कई अंग है जो बिना रुके तब से काम कर रहे है जब से आपका शरीर है जैसे हृदय, नासिका, फेफड़ा , किडनी, लिवर इत्यादि।
विचार कीजिए आप किन-किन चीजों के लिए कृतज्ञ हो सकते है ?
आप इस तरह से भी कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं:
  • मैं मानव जीवन, माता पिता, परिवार, मित्रों के लिए आभारी हूँ। मैं सूर्य के प्रकाश के लिए, जल, मिट्टी, के लिए, आज के दिन के लिए कृतज्ञ हूं।
  • मैं उन सभी माध्यमों का आभारी हूं जिनकी वजह से मुझे भोजन मिलता है जब आप ऐसी बात बोलते हैं तो किसान, श्रमिक, सब्जी वाला, भोजन पकाने वाला, परोसने वाला सभी इसमें आ जाते हैं।
  • मैं विपरीत परिस्थितियों के लिए भी आभारी जिनसे मुझे अपनी कमजोरी जानने और जीवन जीने की सीख मिली।
  • मैं सभी माध्यमों / लोगों के प्रति कृतज्ञ हूं जिनकी वजह से मुझे इलेक्ट्रिसिटी, इंटरनेट सर्विस, स्वच्छ् वातावरण मिलता है। इस तरह से आप पूरे उस श्रृंखला को धन्यवाद करते हैं उन आत्माओं को धन्यवाद करते हैं जो सफाई, टेलीकॉम कंपनी और बिजली विभाग में काम करते हैं।
कृतज्ञता के अभ्यास से मस्तिष्क के नकारात्मक विचारों में कमी आती है, मनुष्य के भीतर धैर्य का विकास होता है उसकी ऊर्जा शिकायतों के बजाय सृजन की तरफ मुड़ जाती है। शोध बताते है की जो लोग अधिक आभारी होते हैं वे अधिक खुश, कम उदास, कम तनावग्रस्त और अपने जीवन और सामाजिक रिश्तों से अधिक संतुष्ट होते हैं। यदि आप चाहे तो रॉन्डा बयर्ने की किताब ‘द मैजिक’ के 10 दिनों के कृतज्ञता अभ्यास से शुरू कर सकते है जिसका सार इस प्रकार है:

The Magic~Gratitude Practices

पहला दिन :
उन 10 चीजों (नियामतों -Blessings) को लिखे जिनके लिए आप कृतज्ञ है जैसे माता पिता, घर, परिवार के सदस्य , मित्रगण, जमीन जायदाद, धन, अच्छा स्वास्थ्य , नौकरी इत्यादि और हर वाक्य लिखने के बाद दिल से कृतज्ञता महसूस करते हुए तीन बार Thank You या धन्यवाद कहें।

दूसरा दिन :
पहले दिन के अभ्यास को दोहराये अर्थात 10 चीजों को लिखे जिनके लिए आप आज कृतज्ञ है जैसे भोजन, पानी, नींद,किताबें, कोई खास काम या इंसान और हर वाक्य लिखने के बाद दिल से कृतज्ञता महसूस करते हुए तीन बार Thank You या धन्यवाद कहें।

आज एक छोटा पत्थर की तलाश करे जो साफ़ सुथरा हो। पत्थर की जल से साफ कर ले फिर इसे रात में सोने से पहले हाथ में लेकर ध्यान लगाकर हर उन चीजों के लिए धन्यवाद कहे जिससे आपकी ज़िन्दगी औरों से बेहतर है जैसे आँखों की रौशनी, सुबह का नाश्ता, रात का खाना, बिजली, इंटरनेट, नौकरी, पढाई की डिग्री, बैंक बैलेंस, घर परिवार इत्यादि। यह पत्थर आपको कृतज्ञता का एहसास दिलाने का जरिया होगा। जब भी आप ‘कृतज्ञता का पत्थर‘ को देखे तो किसी न किसी चीज के लिए आभार जरूर प्रकट करें।

तीसरा दिन : पुनः 10 अच्छी चीजों के लिए धन्यवाद करें जिनके लिए आज आप कृतज्ञ है। पत्थर को हाथ में रखकर ध्यान लगाकर उन लोगों को धन्यवाद कहें जिनके लिए आप कृतज्ञ है जैसे माँ पिता भाई बहन मित्र पड़ोसी, सहकर्मी, सहपाठी और ये जरूर कहें की आप क्यों कृतज्ञ है जैसे धन्यवाद माँ मेरा ख्याल रखने के लिए , धन्यवाद दोस्त हर सुख दुःख में साथ देने के लिए ,धन्यवाद परमात्मा मुझे मानव जीवन प्रदान करने के लिए इत्यदि। आप चाहे तो फोटोग्राफ सामने रखकर भी धन्यवाद कह सकते हैं।

चौथा दिन : पुनः पहले दिन के अभ्यास को दोहराये। आज के दिन हाथ में कृतज्ञता वाले पत्थर को लेकर अपने शरीर, अपने स्वास्थ्य को धन्यवाद करें। जैसे धन्यवाद मेरी आँखों को जिनसे मैं देख पता हूँ, धन्यवाद मेरे हाथों को जिनसे मैं काम कर पाता हूँ। ऐसे शरीर के हर अंग मस्तिष्क, पेट, लिवर, किडनी, आंत, हृदय, फेफड़ा , हड्डी, कोशिकाओं , रक्त कणिकाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता इत्यादि के लिए दिल से धन्यवाद करें।

पांचवा दिन : एक बार पुनः 10 अच्छी नियामतों के लिए धन्यवाद कहें और उन्हें अपने नोटबुक या डायरी में लिखें। आज का दिन पैसे को समर्पित रहेगा। आज अपने जीवन में आए सभी धन के स्रोतों को धन्यवाद कहें उन पैसों को धन्यवाद कहें जिनसे आप कुछ खरीद पाते हैं या मुसीबत के समय जो पैसा काम आते हैं उनके लिए धन्यवाद कहें। जैसे : धन्यवाद मैं पैसों की मदद से मोबाइल रिचार्ज करा पाता हूं, पेट्रोल भरवा पाता हूं। धन की सहायता से ही मैं अच्छे कपड़े खरीद पाता हूं जरूरत पड़ने पर दवाई खरीद पाता है, कहीं घूम पाता हूं किसी की जरूरत को पूरा कर पाता हूं। मेरे जीवन में आने वाले रूपए पैसे के सभी स्रोतों को दिल से धन्यवाद।

छठा दिन : 10 नियामते लिखने के बाद आज का दिन अपने कार्य को समर्पित कीजिए। आज धन्यवाद कीजिए अपने काम को कार्य स्थल को और अपने बॉस तथा सहकर्मियों को। चाहे आपके सहकर्मी अच्छे हो या बुरे हो उनमें कुछ तो अच्छा होगा इसके लिए आप उन्हें धन्यवाद कहें। यदि आप कोई नौकरी या व्यवसाय नहीं करते हैं तो उन कामों को धन्यवाद कीजिए जो आपने दिन में घर पर करते हैं जैसे साफ सफाई घर के काम और उन माध्यमों को धन्यवाद दीजिए जिससे आप कोई कार्य को पूरा कर पाते हैं।

सातवां दिन : आज का दिन नकारात्मक ऊर्जाओं को विदा करने का दिन है। 10 नियामतें लिखने के बाद आप उन परिस्थितियों को, लोगों को धन्यवाद दीजिए जिन्होंने आपका दिल दुखाया है, आपके समय का नुकसान किया है । प्रत्येक व्यक्ति अपने संस्कार और कर्म अनुसार ही इस धरती पर जीवन को जीता है यदि आप उनके कर्मों को क्षमा करते रहें और आगे बढ़ रहे हैं तो निश्चित रूप से यह एक बड़ा अंतर है आप में और उन लोगों में जिन्होंने आपके साथ गलत किया। यह करना आसान नहीं है इसके लिए बड़ा दिल और निरंतर अभ्यास चाहिए। लेकिन एक बार आप ऐसा कर लिए और अवचेतन मन में यह अभ्यास बैठ गया तो आपकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाएगी।

जब आपका दिल दुखता है कष्टमय स्थिति आती है तभी आप अपने भीतर की यात्रा कर पाते हैं उस परम आत्मा से जुड़ पाते हैं जो आपको सही मार्गदर्शन करता है जब आपकी परिस्थितियां विकट होती है तभी जीवन के सही मूल्य और सही लोगों की परख होती है इससे सहनशक्ति भी बढ़ती है धैर्य भी बढ़ता है। सभी नकारात्मक परिस्थितियों, कार्य में हो रहे देरी को धन्यवाद दीजिए क्योंकि कुछ ना कुछ अच्छा कारण जरूर है जिससे कार्य में देरी हुआ है और इससे हमें अपने अंदर भीतर झांकने का समय मिलता है। यदि आपके पास नौकरी नहीं है पैसे नहीं है सपने पूरे नहीं हो रहे हैं तो शिकायत करने के बजाय उन चीजों पर ध्यान दीजिए जो आपके पास है और कोशिश कीजिए अपने सपनों को पूरा करने के लिए।

आठवां दिन : 10 नियामतेँ लिखने के बाद आज का दिन भोजन के प्रति कृतज्ञता के लिए समर्पित है। जब भी आपके सामने कुछ खाने को पीने को आए तो उसे ध्यान से देखिए और कृतज्ञता महसूस कीजिए कि आपके पास भोजन है पीने को साफ जल है हर चीज है जिससे आपकी भूख मिट सकती है। धन्यवाद दीजिए भूमि को जिसके उर्वरक क्षमता से अनाज पैदा होते है, धन्यवाद दीजिए किसान भाइयों को जिनके मेहनत से पूरे विश्व के लोगों को भोजन मिलता है, कृतज्ञता व्यक्त कीजिए, सब्जी वाले का और उस इंसान का जिसने आपके लिए भोजन पकाया और परोसा है। इसी प्रकार भूमि को धन्यवाद दीजिए, नल के माध्यम से आपतक जल पहुंच रहा है और आपकी प्यास बुझ रही है। प्रणाम कीजिए भोजन की थाली को।

नौवां दिन: प्रतिदिन की तरह 10 नियामतें लिखिए। स्वयं के भीतर कृतज्ञ महसूस कीजिए कि आप बहुत अच्छे से अभ्यास कर पा रहे हैं। आज का दिन उन पैसों को धन्यवाद करने का है जिनकी मदद से आप अपनी जरूरतों को पूरा कर पाए। आपके पास मोबाइल है यह आपको पैसे से मिला है उन पैसों को धन्यवाद कीजिए उन पैसों के स्रोतों को धन्यवाद कीजिए जिससे आप मोबाइल कपड़े जूते बाइक खरीद पाए। विचार कीजिए और कृतज्ञता महसूस कीजिए पिछले 10 जरूरतमंद चीजों को खरीदने के लिए जिन्हें आप पैसे के कारण ही खरीद पाए। आज के युग में पैसा बहुत महत्वपूर्ण है यह मन की शांति भी देता है और दुरुपयोग हो तो अशांति भी देगा इसलिए रूपए पैसे धन संपत्ति का सम्मान करना चाहिए जिससे उनका सदुपयोग हो और उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए जिनके माध्यम से हम आज एक सुख जिंदगी जी पा रहे हैं।

दसवां दिन : प्रतिदिन की भांति नियामतें लिखें। आज हुए अच्छी चीजों के लिए धन्यवाद व्यक्त करें। आज का अभ्यास उन 10 लोगों या उससे अधिक लोगों को धन्यवाद करने का है जिन्होंने आपके जीवन, आपके समाज में गहरा प्रभाव डाला है आपको सही मार्गदर्शन दिया है और साथ दिया है। आप मैसेज लिख करके/कॉल करके या आत्मीय रूप से अंतर्मन से भी धन्यवाद व्यक्त कर सकते हैं और इस अभ्यास से अगले व्यक्ति को भी खुशी होती है और आपको भी। इसके अलावा आप उन सभी लोगों को धन्यवाद व्यक्त करें जो समाज के लिए देश के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और किसी न किसी रूप में समाज की सेवा करते हैं। जैसे सफाई कर्मी सड़कों को साफ रखते हैं नालियों को साफ रखते हैं, दाई नौकर घर का काम करते हैं उनके लिए कृतज्ञता व्यक्त करें। इसी प्रकार माली, चपरासी, बैंककर्मी, अधिकारी, कर्मचारी, व्यापारी, इंटरनेट सर्विस वाला, ऑटो ड्राइवर, बस ड्राइवर रेल ड्राइवर डॉक्टर इंजीनियर, पुलिस बॉर्डर पर खड़ा सैनिक इत्यादि, सभी वर्ग के लोगों को धन्यवाद करें जिनके होने से पूरी दुनिया में कोई ना कोई कार्य अच्छे के लिए हो रहा है।

ध्यान रहे उपरोक्त अभ्यास को करने के लिए आपको निश्छल मन की आवश्यकता है यदि आप बदलाव चाहते हैं तो पहले अपने मन को शांत और स्थिर करें इसके लिए आप योगाभ्यास कर सकते हैं। आप बिल्कुल यह सोच कर अभ्यास न करें कि  10 दिन अभ्यास करने के बाद में मनोकामनाएं पूर्ण होगी। यह अभ्यास आत्मबल, मन की शांति और शुद्ध वातावरण को विकसित करने के लिए है। इस अभ्यास के लिए प्रतिदिन 10 से 15 मिनट निकाले। अकेले में सोच विचार करते हुए कृतज्ञता को लिखें और जादुई पत्थर जिस पर आप अपनी अवचेतन मन से शक्ति प्रदान करते हैं को हाथ में रखते हुए ध्यान अवश्य करें। यदि आप 10 दिन अच्छी तरह से अभ्यास कर लेते हैं तभी बाकी दिनों के लिए प्रयास करें जिससे आपको बहुत लाभ मिलेगा।

यदि आप अपने दैनिक प्रार्थना में कृतज्ञता को जोड़ दे तो आपके जीवन में अलौकिक परिवर्तन देखने को मिल सकता है ।
🍁💐देवरिया टाइम्स से जुड़े रहने के लिए आभार, शुक्रिया, Thank You ! 🍁💐

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