देवरिया टाइम्स। 11 अप्रैल 2025

आजकल शहरों और कस्बों की सड़कों पर एक दृश्य आम होता जा रहा है – तेज़ रफ्तार में धड़धड़ाते बाइक सवार, जिनमें तीन लोग सवार होते हैं, जिनकी बाइकें न केवल रफ्तार से बल्कि “गनशॉट साइलेंसर” की धमाकेदार आवाज़ों से भी लोगों के दिलों को दहला देती हैं। यह दृश्य न केवल कानून की अवहेलना है, बल्कि समाज में भय और असुरक्षा का वातावरण भी पैदा कर रहा है। अचानक तेज रफ़्तार से गुजरती बाइक और गनशॉट साइलेंसर की आवाज से छोटे बच्चों की नींदें उचट जाती हैं, वृद्धजन सहमकर दरवाज़े की ओर देखने लगते हैं और हृदय रोगियों के लिए ये आवाज़ें खतरे की घंटी बन जाती हैं। मोहल्लों की गलियों में, जहाँ शांति और सुरक्षा की अपेक्षा की जाती है, वहां तेज़ रफ्तार बाइकें एक खतरनाक खेल खेल रही हैं।
मानसिकता की अस्थिरता का परिचायक 
इन युवाओं की यह हरकतें केवल स्टंट या शौक नहीं, बल्कि एक अस्थिर मानसिकता और जिम्मेदारियों से भागने की प्रवृत्ति को दर्शाती हैं। गाड़ी चलाना एक ज़िम्मेदारी है, और जब यह रफ्तार के नशे में बदल जाती है, तब यह खुद के साथ-साथ दूसरों के लिए भी जानलेवा बन जाती है।
सामाजिक असर और डर का माहौल
  • छोटे बच्चों में डर का माहौल बनता है, वे खेलने या बाहर निकलने से कतराते हैं।
  • बुजुर्गों का चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है, वे इन धमाकों से भयभीत हो जाते हैं।
  • हृदय रोगी किसी भी समय इन तेज़ आवाज़ों से घबरा सकते हैं, जिससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
कानून की अनदेखी
ट्रिपलिंग, बिना हेलमेट के बाइक चलाना और गनशॉट साइलेंसर का प्रयोग – ये सब कानूनन अपराध हैं। लेकिन जब इन नियमों को जानबूझकर तोड़ा जाता है, तो ये न केवल यातायात नियमों का उल्लंघन होते हैं, बल्कि एक असंवेदनशील नागरिक होने का प्रमाण भी देते हैं।
समाधान की ओर कदम
  • परिवार और विद्यालय को युवाओं में अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी का बीज बोना चाहिए। उन्हें समझना होगा की तेज रफ़्तार में बाइक चलाना, स्टंट करना न सिर्फ उनके बच्चों के लिए बल्कि समाज में रह रहे अन्य लोगों के लिए भी जानलेवा है।
  • प्रशासन को सख्ती से इन नियमों का पालन करवाना चाहिए – ट्रिपलिंग पर चालान, गैरकानूनी साइलेंसर हटाना, तेज़ रफ्तार पर जुर्माना आदि।
  • समाज को मिलकर जागरूकता फैलानी चाहिए – जैसे मोहल्ला समितियां बनाकर गश्त, स्थानीय पुलिस से सहयोग लेना।
आज आवश्यकता इस बात की है कि हम युवाओं को समझाएं कि सड़कें स्टंट शो नहीं, जीवन की धड़कन हैं। जिम्मेदारी से गाड़ी चलाना न केवल उनका कर्तव्य है, बल्कि समाज के प्रति उनका योगदान भी है। हर युवा जब यह समझ जाएगा कि उसकी रफ्तार किसी की ज़िंदगी छीन सकती है, तभी सड़कों पर शांति और मोहल्लों में सुकून लौटेगा।
संदेश:
“सड़कें स्टंट का मैदान नहीं, ज़िंदगी की राह हैं।
युवाओं, रफ्तार से नहीं – समझदारी से पहचान बनाओ!”

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